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मशवरा

असद जाफ़री

मशवरा

असद जाफ़री

MORE BYअसद जाफ़री

    आतिश-ए-बे-सूद में मत कूद हो कर बे-ख़तर

    मत गँवा यूँ मुफ़्त में आज़ादी-ए-क़लब-ओ-जिगर

    जब तिरी क़िस्मत में बंगला है गाड़ी है ज़र

    ख़ाना-आबादी का फिर ये क्यूँ तरद्दुद इस क़दर

    आरज़ू तेरी बजा मेरी नसीहत है मगर

    मरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

    तेरे रिश्ते-दार भी हैं अब तिरे बद-ख़्वाह देख

    कर रहे हैं जो तुझे सुब्ह-ओ-मसा गुमराह देख

    कर रहा हूँ वक़्त से पहले तुझे आगाह देख

    सुन वालिद की नसीहत अपनी बस तनख़्वाह देख

    चंद सौ में ज़िंदगी होगी भला कैसे बसर

    मिरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

    तू ने शादी की तो मिट जाएगा तेरा बाँकपन

    तू झुका जब ग़ैर के आगे तन तेरा मन

    कर यूँ बर्बाद अपनी ज़िंदगानी का चमन

    तू अगर मेरा नहीं बनता बन अपना तो बन

    ये तिरे जीने के दिन हैं इस लिए हरगिज़ मर

    मिरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

    रहा है रोज़ लैला-ए-गिरानी पुर-शबाब

    तेल खाते हैं जो कल तक देखते थे घी के ख़्वाब

    आम कपड़ा मुश्किलों से हो रहा है दस्तियाब

    शहर में चीनी भी मिलती है तो सोने के हिसाब

    ये गिरानी तोड़ देगी ये तिरी दुबली कमर

    मिरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

    क़ौम आबादी से पहले हो चुकी है ज़ेर-ए-बार

    और मत कर इस बिचारी को इज़ाफ़े का शिकार

    इल्तवा में डाल दे फ़िलहाल शादी का ग़ुबार

    इस से बेहतर है कि कर ले मुर्ग़ियों का कारोबार

    वर्ना बीवी के समर में तो हैं पोशीदा शरर

    मिरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

    पेश आते हैं जो बाहर हुक्मरानों की तरह

    गुफ़्तुगू करते हैं जो रुस्तम ज़मानों की तरह

    घर में रहते हैं मगर वो बे-ज़बानों की तरह

    काटते हैं वक़्त अपना नीम-जानों की तरह

    सामने बेगम के उन की हर बड़ाई बे-असर

    मरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

    सामने तेरे है वो सालों से राणा की मिसाल

    बा'द शादी क्या हुआ है चौधरी-साहब का हाल

    बन गई है शैख़-जी के वास्ते शादी वबाल

    और यही जंजाल है मिरे लिए वज्ह-ए-ज़वाल

    डाल हम बद-बख़्त इंसानों पे इबरत की नज़र

    मिरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

    घर में जब आती है तो खूँ-ख़्वार बन जाती है ये

    इक मुजस्सम शो'ला-ए-पैकार बन जाती है ये

    संग बनती है कभी तलवार बन जाती है ये

    आदमी मज़दूर और ख़रकार बन जाती है ये

    अल-अमान-ओ-उल-ग़यास-ओ-अल-हफ़ीज़-ओ-अल-हज़र

    मिरे हमदम ख़ुदा के वास्ते शादी कर

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