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नज़्म
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
इन नहरों की हरकत से ज़रख़ेज़ ज़मीं हो जाती है
इन नहरों की बरकत से ज़र-रेज़ ज़मीं हो जाती है