aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "hij.De"
हीजड़े भाँड ज़नाने की ख़ुशामद कीजेमस्त ओ हुशियार दिवाने की ख़ुशामद कीजे
तुम ने किसी हिजड़े के लब परशेर का फूल खिले देखा है
किसी हिजड़े या ज़नख़े पे लअ'न-तअ'न मत करोवो अपने सिवा किसी का मज़ाक़ नहीं उड़ाता
ग़ुबार-ए-हिज्र-ए-सहरा में सराबों से अटे मौसम का ख़म्याज़ाचलो छोड़ो
शहदार नाना हीजड़ा और भाट मंड-चढ़ाखींचे हुए उसे चले जाते हैं जा-ब-जा
सुब्ह-ए-फ़स्ल-ए-बहाराँ भी इक लफ़्ज़ हैशाम-ए-हिज्र-ए-निगाराँ भी इक लफ़्ज़ है
शायद इसी सबब सेमस्ताना हीजड़ा भी
फ़त्ह के नश्शे से पलकें बोझल थींउस ने सोचा हाईड-पार्क में
वो हाथ जो अज़्मतों के हिज्जे मिटा रहा हैवो हाथ लौह-ओ-क़लम के शजरे से टूट जाए
राधा के हिज्जे ही जुदा हैं वर्ना चारोंका तमाशा एक सा है
झूट हो वक़्त हो कि इश्क़-ए-मुदामयाद हो ख़्वाब हो कि हिज्र-ए-दवाम
हिज्र-ए-आलम पे छाया था कुछ इस तरहवस्ल के ख़्वाब वक़्फ़-ए-दुआ हो गए
लज़्ज़त-ए-वस्ल की बेकलीहिज्र-ए-बेताब की रौशनी
एक हिज्र-ए-बे-अमाँ है एक कोह-ए-आतिशींसोज़-ए-जाँ है क्या शुऊ'र-ए-ज़ीस्त क्या ना-आगही
फिर क्यूँ ख़ला सा कहीं हैखुला हिज्र-ए-फ़नकार से दिल हज़ीं है
फिर ग़र्क़ कर के मज़हब-ए-नौ की हर एक शयइस हिन्द-ए-बद-नसीब के हक़ में दुआ करें
नज़्म की तख़्ती पे ग़ज़ल के हिज्जेपंजों पे गाजनी के बिलकते बिलकते
अजब था हिन्द-ए-पारीना का वो क़ानून भी जिस मेंजो कोई मर्द आवारा
ये हिज्र-ए-तेज़-गाम हैबदन की सिल्क ढल रही है रेत सी
जब वो मुड़ कर देखता था उस को यूँ लगता था जैसे आठवें बेटे के दस्त-ए-रास्त मेंइक गदा है जिस पे उस के नाम के हिज्जे रक़म हैं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books