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नज़्म
ख़याल मेरे औज पर न पर लगा के जा सका
मैं हिस्न-ए-बे-शिकस्त हूँ मैं राह-ए-बे-गुज़ार हूँ
सय्यद वहीदुद्दीन सलीम
नज़्म
ख़्वाब वो ख़्वाब कि हो जिस तमाज़त का फ़ुसूँ-ज़ाद
ख़्वाब वो ख़्वाब कि बन जाए शिकस्त-ए-बे-दाद
किश्वर नाहीद
नज़्म
शराब-ए-बे-ख़ुदी से ता-फ़लक परवाज़ है मेरी
शिकस्त-ए-रंग से सीखा है मैं ने बन के बू रहना
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हुस्न-ए-बे-मिस्ल को जिस के न अजल है न ज़वाल
कम-सिनी पर मिरी माइल है तबीअ'त तेरी
ग़ुलाम भीक नैरंग
नज़्म
तेरे फ़ितरी रक़्स को ज़ंजीर-ए-पा किस ने किया
हुस्न-ए-बे-परवा को पाबंद-ए-हया किस ने किया
शमा ज़फर मेहदी
नज़्म
या तबस्सुम है किसी के चेहरा-ए-ज़ेबा का तू
या कि नक़्श-ए-अव्वलीं है हुस्न-ए-बे-परवा का तू
साक़िब कानपुरी
नज़्म
तोले हुए है तेग़-ओ-सिनाँ हुस्न-ए-बे-नक़ाब
नावक-फ़गन है जल्वा-ए-पिन्हान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
हम कि ठहरे अजनबी इतनी मुदारातों के बा'द
फिर बनेंगे आश्ना कितनी मुलाक़ातों के बा'द