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नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
जमाल-ए-हुस्न-ए-यार की वफ़ा भी क्या ही ख़ूब थी
कमाल-ए-दिलबरी की वो अदा भी क्या ही ख़ूब थी
अशफ़ाक़ अहमद साइम
नज़्म
ख़्वाबों के गुलिस्ताँ की ख़ुश-बू-ए-दिल-आरा है
या सुब्ह-ए-तमन्ना के माथे का सितारा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
आ 'जमाल'-ए-ज़ार को भी राज़दार-ए-दिल बना
ज़िंदगी इस की भी इक बर्क़-ए-दिल-ए-बिस्मिल बना
बिलक़ीस जमाल बरेलवी
नज़्म
तेरे चरनों में है गंगा तू हिमाला का वक़ार
ताज से भी ख़ूबसूरत है तिरा हुस्न-ओ-जमाल
प्रेम पाल अश्क
नज़्म
ब-ईं यक़ीन ओ ब-ईं एतिक़ाद-ए-हुस्न-ए-यकीं
अभी तो आएगा वो अहद-ए-ख़ूँ-चकाँ इक दिन