आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "illat-e-kun-fakaa.n"
नज़्म के संबंधित परिणाम "illat-e-kun-fakaa.n"
नज़्म
ऐ कि तेरी ज़ात से है रौनक़-ए-बज़्म-ए-जहाँ
ऐ कि हस्ती है तिरी सरमाया-दार-ए-कुन-फ़काँ
साक़िब कानपुरी
नज़्म
अपनी दुनिया आप पैदा कर अगर ज़िंदों में है
सिर्र-ए-आदम है ज़मीर-ए-कुन-फ़काँ है ज़िंदगी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तू राज़-ए-कुन-फ़काँ है अपनी आँखों पर अयाँ हो जा
ख़ुदी का राज़-दाँ हो जा ख़ुदा का तर्जुमाँ हो जा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तर्जुमान-ए-कुन-फ़काँ जिस का लब-ए-एजाज़ है
जिस की हस्ती पर यहाँ क़ुदरत को सौ-सौ नाज़ है
अमजद नजमी
नज़्म
उसे क़ैद-ए-ज़माँ में जल्वा-ए-नूर-ए-अज़ल जानो
दम-ए-जिबरील समझो या मताअ'-ए-कुन-फ़काँ समझो
नईम सिद्दीक़ी
नज़्म
अब यहाँ मेरी गुज़र मुमकिन नहीं मुमकिन नहीं
किस क़दर ख़ामोश है ये आलम-ए-बे-काख़-ओ-कू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दिमाग़ अपना क़दम रखते ही पहूँचा अर्श-ए-आ'ला पर
ज़मीन-ए-कू-ए-जानाँ आसमाँ मालूम होती है
नजमा तसद्दुक़
नज़्म
छाई है क्यूँ फ़सुर्दगी आलम-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ पर
आज वो ''नल'' किधर गए आज ''दमन'' को क्या हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अभी तो फ़ाक़ा-कश इंसान से आँखें मिलाना है
अभी झुलसे हुए चेहरों पे अश्क-ए-ख़ूँ बहाना है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ज़बाँ मातूब तहज़ीब-ओ-सक़ाफ़त दार की ज़द में
घर आँगन इज़्ज़त-ओ-नामूस कुल तलवार की ज़द में
ओवेस अहमद दौराँ
नज़्म
कि आलम इक बहार-ए-सुर्ख़ी-ए-ख़ून-ए-शहीदाँ है
ये महर-ओ-माह ओ परवीं ये ज़मीं ये लाला-ओ-नस्रीं