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नज़्म
राहगीरों से पुलिस वालों की झक झक का निज़ाम
कितना चौकस है ये पसमाँदा ममालिक का निज़ाम
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
क़ुमरियाँ शाख़-ए-सनोबर से गुरेज़ाँ भी हुईं
पत्तियाँ फूल की झड़ झड़ के परेशाँ भी हुईं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
वो मेरी आँखों पर झुक कर कहती है ''मैं हूँ''
उस का साँस मिरे होंटों को छू कर कहता है ''मैं हूँ''
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
हर आह है ख़ुद तासीर यहाँ हर ख़्वाब है ख़ुद ताबीर यहाँ
तदबीर के पा-ए-संगीं पर झुक जाती है तक़दीर यहाँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सुना? वो क़ादिर-ए-मुतलक़ है एक नन्ही सी जान
ख़ुदा भी सज्दे में झुक जाए सामने उस के