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नज़्म
हमारी ख़ूबियाँ सब दूसरों ने छीन लीं हम से
ज़माने ने हमें इतना झिंझोड़ा कर दिया नंगा
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
अमीक़ हनफ़ी
नज़्म
शोरिश काश्मीरी
नज़्म
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
मिरे जुनूँ को झिंझोड़ता है तो सोचता हूँ
अगरचे तू एक वो हक़ीक़त है जिस का इक़रार ला-बुदी है