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नज़्म
ऐ पुर्वा के ठंडे झोंको दिखलाओ न अपनी शान बहुत
हम लोगों की बिपता सुन कर हो जाओगे हैरान बहुत
सलाम संदेलवी
नज़्म
दरख़्तों की घनी छाँव में जा कर लेट जाता है
हवा के तेज़ झोंके जब दरख़्तों को हिलाते हैं
ज़ेहरा निगाह
नज़्म
आमिर उस्मानी
नज़्म
क़ल्ब-ए-आहन जिस के नक़्श-ए-पा से होता है रक़ीक़
शो'ला-ख़ू झोंकों का हमदम तेज़ किरनों का रफ़ीक़
जोश मलीहाबादी
नज़्म
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
तूफ़ानों की बात नहीं है, तूफ़ाँ आते जाते हैं
तू इक नर्म हवा का झोंका, दिल के बाग़ में ठहरा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
बसंत आया तो यूँ आया कि मैं भी जैसे उठ बैठा
सवेरा होते ही हर सम्त से झोंके हवाओं के