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नज़्म
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जब वो इस दुनिया के शोर और ख़ामोशी से
क़त’-ए-त'अल्लुक़ हो के इंग्लिश में ग़ुस्सा करती है
तहज़ीब हाफ़ी
नज़्म
सैंकड़ों पाँव कटे तब कहीं इक ज़ीना बना
तेरे क़दमों के तले या मिरे क़दमों के तले
साहिर लुधियानवी
नज़्म
पी पी करे पपीहा बगुले पुकारें तू-तू
क्या हुदहुदों की हक़ हक़ क्या फ़ाख़्तों की हू-हू
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
यादों के बे-म'अनी दफ़्तर ख़्वाबों के अफ़्सुर्दा शहाब
सब के सब ख़ामोश ज़बाँ से कहते हैं ऐ ख़ाना-ख़राब
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
जिस को सब कहते हैं हिटलर भेड़िया है भेड़िया
भेड़िये को मार दो गोली पए-अम्न-ओ-बक़ा
जोश मलीहाबादी
नज़्म
तहज़ीब जहाँ थर्राती है तारीख़-ए-बशर शरमाती है
मौत अपने कटे पर ख़ुद जैसे दिल ही दिल में पछताती है