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नज़्म
फिर भी मैं ख़ुश हूँ कि इस कार-गह-ए-दुनिया में
तुम से मिलने के लिए वक़्त ने रस्ता तो दिया
शाइस्ता मुफ़्ती
नज़्म
उस शाम मुझे मालूम हुआ इस कार-गह-ए-ज़र्दारी में
दो भोली-भाली रूहों की पहचान भी बेची जाती है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
कार-गाह-ए-ज़िंदगी में तेरी फ़ितरत आबशार
तेरी सीरत नहर-ए-शीरीं तेरी हिम्मत कोहसार