आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kaav-kaav-e-saKHt-jaanii-haa-e-tanhaa.ii"
नज़्म के संबंधित परिणाम "kaav-kaav-e-saKHt-jaanii-haa-e-tanhaa.ii"
नज़्म
क्या ख़ला में उस पे गुज़री होगी ऐ साक़ी न पूछ
''काव-काव-ए-सख़्त-जानी हाए तन्हाई न पूछ''
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
कौन सी वादी में है कौन सी मंज़िल में है
इश्क़-ए-बला-ख़ेज़ का क़ाफ़िला-ए-सख़्त-जाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं समझता हूँ जो मतलब है मियाँ मिठ्ठू का
बावला जानती है ख़ल्क़-ए-ख़ुदा पिंजरे में
वजाहत हुसैन वजाहत
नज़्म
हमारी बज़्म-ए-अदब का है जश्न-ए-सालाना
जली है शम्-ए-सुख़न रक़्स में है परवाना
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
मैं कि मय-ख़ाना-ए-उल्फ़त का पुराना मय-ख़्वार
महफ़िल-ए-हुस्न का इक मुतरिब-ए-शीरीं-गुफ़्तार
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अब धुँदली पड़ती जाती है तारीकी-ए-शब मैं जाता हूँ
वो सुब्ह का तारा उभरा वो पौ फूटी अब मैं जाता हूँ
मजीद अमजद
नज़्म
या-इलाही इन में ये बातें कहाँ से आ गईं
देख कर हैरान रह जाती है चश्म-ए-नुक्ता-बीं