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नज़्म
यस्सू पुंजू हार कबूतर, कंचे वनचे, ताश
जीतने वाले नालाँ, हारने वाले थे ख़ुश-बाश
इलियास बाबर आवान
नज़्म
हमें भी ले चलो बच्चों का मेला हम भी देखेंगे
कब्बडी है न कंचे हैं न गिली है न डंडा है
सय्यदा फ़रहत
नज़्म
नब्ज़-ए-हस्ती का लहू काँपते आँसू में नहीं
उड़ने खुलने में है निकहत ख़म-ए-गेसू में नहीं
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
फ़ितना-ए-फ़र्दा की हैबत का ये आलम है कि आज
काँपते हैं कोहसार-ओ-मुर्ग़-ज़ार-ओ-जूएबार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हुक़्क़ा सुराही जूतियाँ दौड़ें बग़ल में मार
काँधे पे रख के पालकी हैं दौड़ते कहार
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
तिरी चीन-ए-जबीं ख़ुद इक सज़ा क़ानून-ए-फ़ितरत में
इसी शमशीर से कार-ए-सज़ा लेती तो अच्छा था