आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khas-o-khaashaak-e-nifaaq"
नज़्म के संबंधित परिणाम "khas-o-khaashaak-e-nifaaq"
नज़्म
पज़मुर्दा वो गुल दब के हुए ख़ाक के नीचे
ख़्वाबीदा हैं ख़ार-ओ-ख़स-ओ-ख़ाशाक के नीचे
तिलोकचंद महरूम
नज़्म
नजीब अहमद
नज़्म
हूरें आ कर ख़ुल्द से तौफ़-ए-मज़ार-ए-पाक को
झाड़ती पलकों से हैं गर्द-ओ-ख़स-ओ-ख़ाशाक को
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
था ख़स-ओ-ख़ाशाक-ए-देहली ग़ैरत-ए-सद-लाला-ज़ार
रश्क-ए-सद-गुलज़ार था एक एक ख़ार-ए-लखनऊ