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नज़्म
बया पैदा ख़रीदा रास्त जान-ए-ना-वान-ए-रा
पस अज़ मुद्दत गुज़ार उफ़्ताद बर्मा कारवाने रा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़ज़ीना हूँ छुपाया मुझ को मुश्त-ए-ख़ाक-ए-सहरा ने
किसी को क्या ख़बर है मैं कहाँ हूँ किस की दौलत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
गर्द से पाक है हवा बर्ग-ए-नख़ील धुल गए
रेग-ए-नवाह-ए-काज़िमा नर्म है मिस्ल-ए-पर्नियाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुम अगर हो, तो मिरे पास हो या दूर हो तुम
हर घड़ी साया-गर-ए-ख़ातिर-ए-रंजूर हो तुम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
आज़ाद हैं अपने फ़िक्र ओ अमल भरपूर ख़ज़ीना हिम्मत का
इक उमर है अपनी हर साअत इमरोज़ है अपना हर फ़र्दा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ख़ूँ चूस रहा है पौदों का इक फूल जो ख़ंदाँ होता है
पामाल बना कर सब्ज़ों को इक सर्व खरामा होता है
नुशूर वाहिदी
नज़्म
''शोर-ए-लैला को कि बाज़-आराइश-ए-सौदा कुनद
ख़ाक-ए-मजनूँ-रा ग़ुबार-ए-ख़ातिर-ए-सहरा कुनद''
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कोई दम बादबान-ए-कश्ती-ए-सहबा को तह रक्खो
ज़रा ठहरो ग़ुबार-ए-ख़ातिर-ए-महफ़िल ठहर जाए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ग़म के बादल ख़ातिर-ए-नाज़ुक पे हैं छाए हुए
आरिज़-ए-रंगीं हैं या दो फूल मुरझाए हुए