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नज़्म
गर कभी ख़ल्वत मयस्सर हो तो पूछ अल्लाह से
क़िस्सा-ए-आदम को रंगीं कर गया किस का लहू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अगर ख़ल्वत में तू ने सर उठाया भी तो क्या हासिल
भरी महफ़िल में आ कर सर झुका लेती तो अच्छा था