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नज़्म
अमजद नजमी
नज़्म
कि उन में अहल-ए-हवस की सदा का सीसा है
वो झुकते रहते हैं लब-हा-ए-इक़तिदार की सम्त
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
ख़्वाहिश-ए-साया-ए-गेसू-ए-परेशाँ ही नहीं
जन्नत-ए-आरिज़-ओ-लब की भी तमन्ना न करूँ
इम्तियाज़ अहमद क़मर
नज़्म
कर रहे हैं लक्ष्मी-पूजन भी घरों में साहूकार
देव दौलत को समझ बैठे हैं रब्ब-ए-इक़्तिदार
शातिर हकीमी
नज़्म
उन की अज़्मत से सबक़ लें आज अहल-ए-इक़्तिदार
कुर्सियों पर बैठ जाने से नहीं मिलता वक़ार
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
तेरी हर हरकत में मख़्फ़ी आरज़ू-ए-इज़्तिरार
तेरी तदबीर-ए-अमल पर इंहिसार-ए-ज़िंदगी