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नज़्म
तेरे फ़िरदौस-ए-तख़य्युल से है क़ुदरत की बहार
तेरी किश्त-ए-फ़िक्र से उगते हैं आलम सब्ज़ा-वार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़िश्त-ए-बुनियाद-ए-कलीसा बन गई ख़ाक-ए-हिजाज़
हो गई रुस्वा ज़माने में कुलाह-ए-लाला-रंग
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हमारी किश्त-ए-बे-माया हैं इस सहरा में क्या बोया
बगूलों के सिवा कुछ गर्म झोंकों के सिवा हम ने
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
ज़िंदगी राहत-ए-जाँ दर्द दिल-ए-ज़ार भी है
बाँझ खेती भी है और किश्त-ए-गुहर-बार भी है
ओम प्रकाश बजाज
नज़्म
जिलौ में इन के वो सैलाब-ए-किशत-ओ-ख़ूँ होगा
लरज़ उठेंगी हिमाला की चोटियाँ इक दिन