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नज़्म
हिन्द के बाँके सिपाही अज़्म के कोह-ए-गिराँ
ज़िंदाबाद ऐ फ़ख़्र-ए-मशरिक़ नाज़िश-ए-हिन्दोस्ताँ
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
मेरा वतन हिन्दोस्ताँ हर राह जिस की कहकशाँ
कोह-ए-गिराँ से कम नहीं जिस के जियाले नौजवाँ
रिफ़अत सरोश
नज़्म
जो अब्र यहाँ से उट्ठेगा वो सारे जहाँ पर बरसेगा
हर जू-ए-रवाँ पर बरसेगा हर कोह-ए-गिराँ पर बरसेगा
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सीनों में सब्र-ओ-ज़ब्त की वो तेज़ आग थी
ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ गल के बह गए
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
पाक बातिन पाक तीनत अज़्म के कोह-ए-गिराँ
ख़ादिम-ए-क़ौम-ओ-वतन ऐ नाज़िश-ए-हिन्दोस्ताँ
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
पाक बातिन पाक तीनत अज़्म के कोह-ए-गिराँ
ख़ादिम-ए-क़ौम-ओ-वतन ऐ नाज़िश-ए-हिन्दोस्ताँ