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नज़्म
उन से मिलने की तमन्ना दिल-ए-बेताब न कर
अहल-ए-दिल कुश्ता-ए-उफ़्ताद-ए-ज़माना हों जहाँ
बज़्म अंसारी
नज़्म
फिर दुहल करने लगे तशहीर-ए-इख़लास-ओ-वफ़ा
कुश्ता-ए-सिदक़-ओ-सफ़ा का दिल जलाने के लिए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सच बता तू भी है क्या ऐ कुश्ता-ए-सद-हिर्स-ओ-आज़
राज़-दान-ए-काकुल-ए-शब-रंग ओ चश्म-ए-नीम-बाज़
जोश मलीहाबादी
नज़्म
आशिक़-ए-नाम-ए-वतन कुश्ता-ए-अरमान-ए-वफ़ा
मर्द-ए-मैदान-ए-वफ़ा जिस्म-ए-वफ़ा जान-ए-वफ़ा
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
हर एक कुश्ता-ए-ना-हक़ की ख़ामुशी पे सलाम
हर एक दीदा-ए-पुर-नम की आब-ओ-ताब की ख़ैर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क्यूँ दाद-ए-ग़म हमीं ने तलब की बुरा किया
हम से जहाँ में कुश्ता-ए-ग़म और क्या न थे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
इक तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल है सो वो उन को मुबारक
इक अर्ज़-ए-तमन्ना है सो हम करते रहेंगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
हम तो बस तिश्ना-दहन लब-ब-दुआ कुश्ता-ए-ग़म
अपने होने ही में गुम पढ़ न सके हैं अब तक