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नज़्म
मुझे इक लड़का आवारा-मनुश आज़ाद सैलानी
मुझे इक लड़का जैसे तुंद चश्मों का रवाँ पानी
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
भड़वे भी, भड़वा बकते हों तब देख बहारें होली की
और एक तरफ़ दिल लेने को महबूब भवय्यों के लड़के
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
सब बुरा कहते हैं लड़ने को बुरी आदत है ये
साथ के लड़के जो हों उन से रिफ़ाक़त चाहिए
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
बार-ए-मशक़्क़त कम करने को खलियानों में काम से चूर
कम-सिन लड़के गाते होंगे लो देखो वो सुब्ह का नूर
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
इम्तिहाँ सर पर है लड़के लड़कियाँ हैं और किताब
डेट-शीट आई तो गोया आ गया यौम-उल-हिसाब
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
फिरते हैं इश्क़-बाज़ जो लड़के की घात में
टोंटा ही ले के देते हैं लड़के के हाथ में
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
गुलों ने पहने हैं क्या क्या ही जोड़े रंग-ब-रंग
कि जैसे लड़के ये माशूक़ पहनते हैं तंग