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नज़्म
उम्मतें और भी हैं उन में गुनहगार भी हैं
इज्ज़ वाले भी हैं मस्त-ए-मय-ए-पिंदार भी हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कहीं मेहर सुब्ह-ए-कमाल के
कहीं ज़ुल्फ़-ए-वस्ल-मिज़ाज पर तह-ए-गर्द-ए-हिज्र जमी हुई
अख़्तर हुसैन जाफ़री
नज़्म
'अक़्ल-ए-बे-माया इमामत की सज़ा-वार नहीं
राहबर हो ज़न-ओ-तख़मीं तो ज़ुबूँ कार-ए-हयात
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कितनी बड़ी क़तार खुले ज़ावियों की थी
वक़्त आ गया था वस्ल-ओ-मुकाफ़ात वस्ल का
मोहम्मद अनवर ख़ालिद
नज़्म
दश्त-ए-तन्हाई में ऐ जान-ए-जहाँ लर्ज़ां हैं
तेरी आवाज़ के साए तिरे होंटों के सराब
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात