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नज़्म
यूँ फ़ज़ाओं में रवाँ है ये सदा-ए-दिल-नशीं
ज़ेहन-ए-शाइर में हो जैसे इक अछूता सा ख़याल
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
बिसात-ए-ज़ेहन-ओ-दिल को चाहता हूँ पाक कर लूँ
ज़र-ओ-इम्लाक की ख़्वाहिश से अपने आप को आज़ाद कर लूँ
अबु बक्र अब्बाद
नज़्म
ग़ैरत-ए-मुख़्लिस हलाक-ए-जज़्बा-ए-पिंदार हो
ऐ हरीफ़-ए-ज़ेहन-ओ-दिल बेदार हो बेदार हो
नख़्शब जार्चवि
नज़्म
आँधियों का ज़ोर, मौजों की रवानी तुझ में है
इर्तिक़ा-ए-ज़ेहन-ए-इंसाँ की कहानी तुझ में है
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
अभी मावरा-ए-ख़याल-ओ-फ़िक्र-ए-मसाइल उस की नज़र में हैं
कुर्रा-ए-ज़मीं को ये फ़ख़्र है