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नज़्म
दूर इक पर्बत की ऊँची चोटी पर इक छोटी सी बदली
क्या जाने पूरब की धुँदले मंडल में क्या ढूँढ रही थी
तख़्त सिंह
नज़्म
आकाश के नीले मंडल पर जो तारों की गुल-कारी है
सज उस की क्या मन-लेवा है धज कैसी प्यारी प्यारी है
ख़्वाजा दिल मोहम्मद
नज़्म
रास-मंडल में कन्हैया सब्ज़ बाक़ी उस की गोपियां
तेज़ बे-हद तेज़ बे-दम हाँफती मौज-ए-हवा की लय
अमीक़ हनफ़ी
नज़्म
ये चर्ख़-ए-जब्र के दव्वार-ए-मुमकिन की है गिरवीदा
लड़ाई के लिए मैदान और लश्कर नहीं लाज़िम
जौन एलिया
नज़्म
वो हिकमत नाज़ था जिस पर ख़िरद-मंदान-ए-मग़रिब को
हवस के पंजा-ए-ख़ूनीं में तेग़-ए-कार-ज़ारी है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
फिर हांडा है न भांडा है न हल्वा है न मांडा है
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा