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नज़्म
ग़ाफ़िल आदाब से सुक्कान-ए-ज़मीं कैसे हैं
शोख़ ओ गुस्ताख़ ये पस्ती के मकीं कैसे हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मकाँ फ़ानी मकीं फ़ानी अज़ल तेरा अबद तेरा
ख़ुदा का आख़िरी पैग़ाम है तू जावेदाँ तू है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
और अब ये राह-गुज़र भी है दिल-फ़रेब ओ हसीं
है इस की ख़ाक में कैफ़-ए-शराब-ओ-शेर मकीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
भूक और प्यास से पज़-मुर्दा सियह-फ़ाम ज़मीं
तीरा-ओ-तार मकाँ मुफ़लिस ओ बीमार मकीं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
वही ज़मीं, वहीं ज़माँ, वही मकीं, वही मकाँ
मगर सुरूर-ए-यक-दिली, मगर नशात-ए-अंजुमन