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नज़्म
हम उन को देते हैं बे-जान और ग़लत तालीम
मिलेगा इल्म-ए-जिहालत-नुमा से क्या उन को
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
ग़ुंचे हमारे दिल के इस बाग़ में खिलेंगे
इस ख़ाक से उठे हैं इस ख़ाक में मिलेंगे
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
किस के चेहरे में तलाशूँ तेरे चेहरे की झलक
किस के आँचल में मिलेगी तेरी ममता की महक