आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "milii.n"
नज़्म के संबंधित परिणाम "milii.n"
नज़्म
अब तुम मिलीं तो कितने ही ग़म हैं तुम्हारे साथ
पत्थर की तरह तुम ने गुज़ारी है ज़िंदगी
हिमायत अली शाएर
नज़्म
इस जगह मेरे ख़्वाबों को आँखें मिलीं
और मेरी मोहब्बत के बोसों ने अपने हसीन होंट हासिल किए
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
फ़ज़ा करती है जिन मौहूम अफ़्सानों की तामीरें
भटकते अब्र में जिन की मिलीं मुबहम सी तस्वीरें
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
पत्थरों को ज़बाँ तो मिली पर तकल्लुम नहीं
पत्थरों को ख़द-ओ-ख़ाल-ए-इंसाँ मिले दौलत-ए-दर्द-ओ-ग़म कब मिली