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नज़्म
पयाम-ए-इंसानियत पे गोया लगी है दीमक
वो दर्द-ए-दिल की लवें जो मिस्ल-ए-चराग़ जलती रही थीं सदियों
करामत अली करामत
नज़्म
तेरा हर लम्हा मुनव्वर हर घड़ी नय्यर-ब-दोश
ज़िंदगी तेरी रहे मिस्ल-ए-चराग़-ए-ज़ौ-फ़रोश
बिलक़ीस जमाल बरेलवी
नज़्म
मिस्ल-ए-अंजुम उफ़ुक़-ए-क़ौम पे रौशन भी हुए
बुत-ए-हिन्दी की मोहब्बत में बिरहमन भी हुए
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिस्ल-ए-पैराहन-ए-गुल फिर से बदन चाक हुए
जैसे अपनों की कमानों में हों अग़्यार के तीर
अहमद फ़राज़
नज़्म
ये इस्तिग़्ना है पानी में निगूँ रखता है साग़र को
तुझे भी चाहिए मिस्ल-ए-हबाब-ए-आबजू रहना