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नज़्म
ये 'नानक' की ये 'ख़ुसरव' की 'दया-शंकर' की बोली है
ये दीवाली ये बैसाखी ये ईद-उल-फ़ित्र होली है
मंज़र भोपाली
नज़्म
क्या कहूँ क्या गुल खिलाए हैं अबुल-बरकात ने
फ़ित्ना-आराई मुसलमानों में उस का काम है
शोरिश काश्मीरी
नज़्म
में जो बे-मर्ज़ी निकल आया तो डाँटा है बहुत
मौलवी ने मुख़्तलिफ़ ख़ानों में बाँटा है बहुत
खालिद इरफ़ान
नज़्म
और सुनते हैं कि बब्बू से ये अब्दुल ने कहा
नोश-ओ-ख़ुर्दन है नविश्ता तिरे दीवाने का
मोहम्मद यूसुफ़ पापा
नज़्म
तारिक़ क़मर
नज़्म
सीरत-ए-नबवी, तर्क-ए-दुनिया और मौलवी-साहब के हलवे मांडे में क्या रिश्ता है?
दिन तो उड़ जाते हैं
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
जिस की ज़मीं पे अब तक 'गाँधी' है और जवाहर
'अबुल-कलाम' जैसे जिस मुल्क में हों लीडर
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
है मुसलमानों पर वाजिब सदक़ा-ए-ईद-उल-फ़ित्र
पा के रोज़ी ख़ुश हैं ग़ुरबा ये निहाल-ए-ईद है