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नज़्म
जिस की पीरी में है मानिंद-ए-सहर रंग-ए-शबाब
कह रहा है मुझ से ऐ जूया-ए-असरार-ए-अज़ल
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
आसमाँ कितना ख़ूब-सूरत है
लेकिन ऐ शाहकार-ए-दस्त-ए-अज़ल जिस तरफ़ का तिरा इरादा है
इफ़्तिख़ार आज़मी
नज़्म
जल्वा-ए-हुस्न-ए-अज़ल आए तसव्वुर में अगर
गोशा-ए-दिल में मचलते हुए अरमाँ होंगे
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
शोला-ए-हुस्न-ए-अज़ल रूह-ए-जहाँ जान-ए-हयात
सुब्ह के नूर के मानिंद निगाहों को मुनव्वर करता
वहीद अख़्तर
नज़्म
जल्वा-ए-नूर-ए-अज़ल ‘आलम-ए-तनवीर में था
या'नी जो कुछ भी था बस ख़ाक की ता'मीर में था
बिस्मिल इलाहाबादी
नज़्म
उसे क़ैद-ए-ज़माँ में जल्वा-ए-नूर-ए-अज़ल जानो
दम-ए-जिबरील समझो या मताअ'-ए-कुन-फ़काँ समझो
नईम सिद्दीक़ी
नज़्म
ऐ गुल-ए-तर किस क़दर दिलकश है नज़्ज़ारा तिरा
हामिल-ए-हुस्न-ए-अज़ल है क़ल्ब-ए-सी-पारा तिरा
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
अब तक असर में डूबी नाक़ूस की फ़ुग़ाँ है
फ़िरदौस-ए-गोश अब तक कैफ़िय्यत-ए-अज़ाँ है