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नज़्म
लब पर नाम किसी का भी हो, दिल में तेरा नक़्शा है
ऐ तस्वीर बनाने वाली जब से तुझ को देखा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हर ख़ातिर को ख़ुरसंद किया हर दिल को लुभाया होली ने
दफ़ रंगीं नक़्श सुनहरी का जिस वक़्त बजाया होली ने
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
जो याँ का रहने वाला है ये दिल में अपने जान रखे
ये तुरत-फिरत का नक़्शा है इस नक़्शे को पहचान रखे
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
नहीं मौक़ूफ़ इन्ही अय्याम पर जब भी ख़याल आया
तसव्वुर तेरे ब'अद उस का भी नक़्शा सामने लाया
अख़्तर शीरानी
नज़्म
ज़रदार की हर आवाज़ में है बिफरी हुई सूरत का नक़्शा
मज़दूर नहीफ़-ओ-बेचारे सहमी हुई कुछ आवाज़ें हैं
ज़ेब उस्मानिया
नज़्म
तू ने वरक़ को उल्टा वो दौर तू ने पल्टा
आँखों में मेरी अब तक फिरता है सब वो नक़्शा
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
ऐ सती ऐ जल्वा-गाह-ए-शोला-ए-तनवीर-ए-हुस्न
पाक-दामानी का नक़्शा है तिरी तस्वीर-ए-हुस्न