aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nir"
कुछ नीर वफ़ा की शम्ओं केकुछ पर पागल परवानों के
कोमल कोमल उस की कलाई जैसे कमल के डंठलनूर-ए-सहर मस्ती में उठाए जिस का भीगा आँचल
नैनन दुख के नीर बहाएमन की बात कही न जाए
पहरों नीर बहाते हैंकि राज-धर्म के रक्षक का दिल
अज़ली निर तक अबद मुग़न्नी ख़ुद भी खो जाते हैंआ हम चारों सम्त में
तेरे साथ लड़ाई ठाने लेकिन मुँह की खाएइक छुप छुप कर नीर बहाए
अच्छा था ख़ामोश ही रहतेनीर की धारा जब थम जाए
कोई करे जीवन उजयारा कोई तो रूप दिखाएनैन की निर्मल नाज़ुक नय्या बे-सुध नीर बहाए
बदन जले तन्हाई मेंदिल में ज़ख़्म हैं नीर नयन में फिर भी ये मुस्काएँ
नीर भरे नैनों से साजन देखूँ राह तुहारीबरखा के साँचे में ढल गई हर इक शाम सुहानी
ख़ुद सागर का नीर चुरा करनाहक़ शोर मचाए बदरा
तुझ पे बरसा है उसी बाम से महताब का नूरजिस में बीती हुई रातों की कसक बाक़ी है
क्यूँ हिरासाँ है सहिल-ए-फ़रस-ए-आदा सेनूर-ए-हक़ बुझ न सकेगा नफ़स-ए-आदा से
तिरे जमाल की रानाइयों में खो रहतातिरा गुदाज़-बदन तेरी नीम-बाज़ आँखें
वो जो साए में हर मस्लहत के पलेऐसे दस्तूर को सुब्ह-ए-बे-नूर को
नूर की ज़बाँ बन करहाथ बोल उठते हैं सुब्ह की अज़ाँ बन कर
बहुत क़रीं था हसीनान-ए-नूर का दामनसुबुक सुबुक थी तमन्ना दबी दबी थी थकन
अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा
तहमतन यानी 'रुस्तम' था गिरामी 'साम' का वारिसगिरामी 'साम' था सुल्ब-ए-नर-ए-'मानी' का ख़ुश-ज़ादा
तेरे हातों की शम्ओं की हसरत में हमनीम-तारीक राहों में मारे गए
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