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नज़्म
सुना है घोंसले से कोई बच्चा गिर पड़े तो सारा जंगल जाग जाता है
सुना है जब किसी नद्दी के पानी में
ज़ेहरा निगाह
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जिस में सदियों के तहय्युर के पड़े हों डोरे
क्या तुझे रूह के पत्थर की ज़रूरत होगी
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
तीखी नज़रें हों तुर्श अबरू-ए-ख़मदार रहें
बन पड़े जैसे भी दिल सीनों में बेदार रहें