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नज़्म
बे-जान हो जब नक़्श-ए-हस्ती तस्वीर-ए-तमन्ना क्या बोले
ताराज के ख़ूनी पंजे में तहज़ीब की मीना क्या बोले
नुशूर वाहिदी
नज़्म
जिस के पंजे से कोई ख़ुश-नसीब ही छुटता है
मुझे बरसों पहले गाँव में अपनी चितकबरी बकरी याद आ गई