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नज़्म
ख़ून-ए-दिल ओ जिगर से है मेरी नवा की परवरिश
है रग-ए-साज़ में रवाँ साहिब-ए-साज़ का लहू!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
पूछता है तो कि कब और किस तरह आती हूँ मैं
गोद में नाकामियों के परवरिश पाती हूँ मैं
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
अब्दुल क़ादिर
नज़्म
कोई उमीद का पैग़ाम कोई प्यार का इस्म
वो ख़्वाब-ए-परवरिश-ए-जाँ कि जिस पे सदक़े हों जिस्म
ज़िया जालंधरी
नज़्म
ख़ुद दिल-ओ-जिगर से कर जज़्ब-ए-दरूँ की परवरिश
करते रहें ज़मीर को इश्क़ के नग़्मे मुर्तइश
मीर यासीन अली ख़ाँ
नज़्म
फ़ज़ाओं में मोहब्बत की हक़ीक़त आश्ना हूँ मैं
इक आग़ोश-ए-अदब में परवरिश पाता रहा हूँ मैं