aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "raged"
शजर हजर नहीं कि हमहमेशा पा-ब-गिल रहें
जिन्हों ने नस्लें की नस्लेंलकीरों पर रगेद डालीं
आश्ना हैं तिरे क़दमों से वो राहें जिन परउस की मदहोश जवानी ने इनायत की है
हर मुसलमाँ रग-ए-बातिल के लिए नश्तर थाउस के आईना-ए-हस्ती में अमल जौहर था
जिस पे पहले भी कई अहद-ए-वफ़ा टूटे हैंइसी दो-राहे पे चुप-चाप खड़ा रह जाऊँ
ज़िंदगी से डरते हो!ज़िंदगी तो तुम भी हो ज़िंदगी तो हम भी हैं!
मुख़ातिब है बंदे से परवरदिगारतू हुस्न-ए-चमन तू ही रंग-ए-बहार
सफ़ेद-ख़ानोंसियाह-ख़ानों में रक्खे
मगर हर इक बार तुझ को छू करये रेत रंग-ए-हिना बनी है
जो काँटे हूँ सब अपने दामन में रख लूँसजाऊँ मैं कलियों से राहें तुम्हारी
इस कुंज से फूटेगी किरन रंग-ए-हिना कीइस दर से बहेगा तिरी रफ़्तार का सीमाब
तू इस तरह से मिरी ज़िंदगी में शामिल हैजहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफ़िल है
ऐ अर्ज़-ए-पाक तेरी हुर्मत पे कट मरे हमहै ख़ूँ तिरी रगों में अब तक रवाँ हमारा
जहाँ छुप गया पर्दा-ए-रंग मेंलहू की है गर्दिश रग-ए-संग में
क्यूँ ख़ालिक़ ओ मख़्लूक़ में हाइल रहें पर्देपीरान-ए-कलीसा को कलीसा से उठा दो
बाक़ी है लहू दिल में तो हर अश्क से पैदारंग-ए-लब-ओ-रुख़्सार-ए-सनम करते रहेंगे
हर एक मौज-ए-हवा रुख़ बदल के झपटेगीहर एक शाख़ रग-ए-संग होती जाएगी
आज के ब'अद मगर रंग-ए-वफ़ा क्या होगाइश्क़ हैराँ है सर-ए-शहर-ए-सबा क्या होगा
अश्क बहते रहें ख़ामोश सियह रातों मेंऔर तिरे रेशमी आँचल का किनारा न मिले
जहाँ-ज़ाद नीचे गली में तिरे दर के आगेये मैं सोख़्ता-सर हसन-कूज़ा-गर हूँ!
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