aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "rah-rav-e-raah"
तू जो चाहे तो उठे सीना-ए-सहरा से हबाबरह-रव-ए-दश्त हो सैली-ज़दा-ए-मौज-ए-सराब
हर क़दम पर रह-रव-ए-उल्फ़त को मंज़िल के लिएशौक़ होना चाहिए उम्मीद होनी चाहिए
हम तो माइल-ब-करम हैं कोई साइल ही नहींराह दिखलाएँ किसे रह-रव-ए-मंज़िल ही नहीं
वो शाख़ से बुरीदा हो गया तो एक ख़्वाब थावो ख़्वाब से बुरीदा हो गया तो सिर्फ़ रह-रव-ए-निदा-ए-मावरा-ए-क़ुर्ब-ओ-लम्स
जो सहर से शाम के रहगुज़रमें फ़रेब-ए-रह-रव-ए-सादा है
ऐ मिरे सोच-नगर की रानी ऐ मिरे ख़ुल्द-ए-ख़याल की हूरइतने दिनों जो मैं घुलता रहा हूँ तेरे बिना यूँही दूर ही दूर
यूँ कहने को राहें मुल्क-ए-वफ़ा की उजाल गयाइक धुँद मिली जिस राह में पैक-ए-ख़याल गया
चराग़ राह में उस के अमल से जलने लगेलो आज सुब्ह-ए-शब-ए-इंतिज़ार आ ही गई
है यही ऐ बे-ख़बर राज़-ए-दवाम-ए-ज़िंदगीज़िंदगी
गुज़र रहा है इधर से तो मुस्कुराता जाखिले नहीं हैं जो ग़ुंचे उन्हें खिलाता जा
फिर मिरे एहसास नेमुझ को
कि जैसे जीवन के मोम-रस को वो घूँट भर भर के पी रही होमगर तलब का विसाल-ए-लब का
आना है तो आ राह में कुछ फेर नहीं हैभगवान के घर देर है अंधेर नहीं है
सर-ए-रह पेड़ जामुन का खड़ा हैबड़ा छितनार है साया घना है
लम्हा भर के लिए चलते चलते क़दम रुक गएख़ून के ताज़ा ताज़ा निशाँ छोड़ कर
ख़त-ए-राह-गुज़ार
ज़ीस्त बे-इख़्तियार गुज़री हैजूँ नसीम-ए-बहार गुज़री है
इक मौहूम सा काशाना नज़र आता हैएक मग़्मूम सा ग़म-ख़ाना नज़र आता है
शब-ए-एशिया के अँधेरे में सर-ए-राह जिस की थी रौशनीवो गौहर किसी ने छुपा लिया वो दिया किसी ने बुझा दिया
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books