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नज़्म
उन को पैरिस के नज़ारों पे फ़िदा होने दो
मुझ को भारत के लिए रंज-ओ-मलाल अच्छा है
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
कह रहा है आशिक़-ए-सादिक़ ब-सद रंज-ओ-मलाल
मैं तुम्हारा हो गया हूँ छोड़ कर दुनिया-ओ-दीं
नबीउल हसन शमीम
नज़्म
क्या तुझे भी है किसी की कम-निगाही का गिला
क्या तिरी हस्ती भी है यास-ओ-अलम में मुब्तला
साक़िब कानपुरी
नज़्म
हुजूम-ए-रंज-ओ-अलम में भी तेरा दिल है जवाँ
सुबुक बहाओ पे दरिया के जिस तरह हो चटां