आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "rihaa.ii"
नज़्म के संबंधित परिणाम "rihaa.ii"
नज़्म
ज़रा होंटों को जुम्बिश और लफ़्ज़ों को रिहाई दो
अकेला पड़ गया हूँ मैं ज़रा मेरी सफ़ाई दो
मनोज अज़हर
नज़्म
तहज़ीब हाफ़ी
नज़्म
वो इख़्तियार जो तुम ने क़फ़स में ढाल दिया
उसी क़फ़स से रिहाई है इब्तिदा मेरी
अमीता परसुराम मीता
नज़्म
न रिहाई की पज़ीराई न असीरी ही की शर्म
शहर के शहर का अफ़्साना वो रूहें जो सर-ए-पुल के सिवा