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नज़्म
तबाही का दिया इल्ज़ाम तुझ को रोम वालों ने
तुझे भारत के दानिश-वर सदा मनहूस कहते हैं
अब्दुल क़ादिर
नज़्म
अताउर्रहमान तारिक़
नज़्म
मैं जब औसान अपने खोने लगता हूँ तो हँसता हूँ
मैं तुम को याद कर के रोने लगता हूँ तो हँसता हूँ
जौन एलिया
नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है ज़ुल्म में
क़ातिल को जो न टोके वो क़ातिल के साथ है