aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ruko"
रुको मैं बे-सर-ओ-पा अपने सर से भाग निकला हूँइला या अय्युहल-अबजद ज़रा यानी ज़रा ठहरो
तो यक़ीन हो!रुको और थोड़ा सा ज़ब्त लो, मुझे सोच लेने को वक़्त दो,
मगर रुको ज़रा ठहरो ये सिसकियाँ कैसीख़ुशी कि रुत में दुखों की ये बदलियाँ कैसी
हाँ रुको नहींइस ढलान से नीचे भी तो जाना है
दौड़ते जाओ यही है ज़िंदगीमत रुको इक दूसरे के वास्ते
मगर जानाँ ज़रा सोचोरुको लम्हे को और देखो
एक दो पल तो ज़रा और रुकोऐसी जल्दी भी भला क्या है चले जाना तुम
तुम इस तरह बेगाना-वश क्यूँ गुज़रती होपल भर रुको
क्यों क़दम रुक गए मिरे साथीहै सफ़र तो अभी बहुत बाक़ी
अन-कही बात का एहसास-ए-ज़ियाँअजनबी शहर में चलते चलते रास्ता हाथ पकड़ ले तो रुको
भाई रुकोतुम दो क़दम आगे बढ़े तो
आगे बढ़ो रुको न किसी रहगुज़ार परहर दम सफ़र का लुत्फ़ उठाते चले चलो
आवाज़ दे के उस से कहा ऐ मियाँ रुकोजाते कहाँ हो माल लिए अपने बाप का
ज़रा रुको तोहमें बताओ
मिरे जुगनूरुको अपने बदन से मेरी ख़ुश्बू झाड़ डालो
अभी रुकोशिकायतें सुनाने दो
रुको मोहब्बत के ख़ानवादे के शाहज़ादेरुको कहाँ उजलतों में जानें लुटा रहे हो
आए उश्शाक़ गए वादा-ए-फ़र्दा ले करअब उन्हें ढूँड चराग़-ए-रुख़-ए-ज़ेबा ले कर
ज़ेर-दस्तों के मसाइब को समझना सीखासर्द आहों के रुख़-ए-ज़र्द के मअ'नी सीखे
वो तो दीवाना है बस्ती में रहे या न रहेये ज़रूरी है हिजाब-ए-रुख़-ए-लैला न रहे
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