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नज़्म
चाँदनी पी कर हमें ब-दस्त पाता है तो ख़ुश होता है वक़्त
फूलने फलने की तदबीरें बताता है हमें
अमीक़ हनफ़ी
नज़्म
भई बुलाओ किसी नश्तर-ब-दसत हज्जाम को जो हजामत बनाए और फ़स्द खोले हमारी
लेकिन एक अनार और सौ बीमार