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नज़्म
वो हँसती हो तो शायद तुम न रह पाते हो हालों में
गढ़ा नन्हा सा पड़ जाता हो शायद उस के गालों में
जौन एलिया
नज़्म
चश्म-ए-दिल वा हो तो है तक़्दीर-ए-आलम बे-हिजाब
दिल में ये सुन कर बपा हंगामा-ए-मशहर हुआ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कभी हम-सिन हसीनों में बहुत ख़ुश-काम ओ दिल-रफ़्ता
कभी पेचाँ बगूला साँ कभी ज्यूँ चश्म-ए-ख़ूँ-बस्ता
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
ताइर-ए-ज़ेर-ए-दाम के नाले तो सन चुके हो तुम
ये भी सुनो कि नाला-ए-ताइर-ए-बाम और है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मशरिक़ का दिया गुल होता है मग़रिब पे सियाही छाती है
हर दिल सन सा हो जाता है हर साँस की लौ थर्राती है
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
दलदल की तह में धँस गया हूँ
में नहीं कहता कि ये किस आसमाँ का कौन सा सय्यारा-ए-बद है
अब्बास ताबिश
नज़्म
निज़ाम-ए-शाएरी में हाए आया इंक़लाब ऐसा
कि शान-ए-नज़्म बदली और अंदाज़-ए-सुख़न बदला
सय्यद तसलीम हैदर क़मर
नज़्म
फ़िक्र-ए-गुनहगारी का ताज़ा दिल-रुबा पैग़ाम था
तेरे ही कूचे में ये सब अहद-ए-वफ़ा तोड़े गए