आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sabr-o-razaa"
नज़्म के संबंधित परिणाम "sabr-o-razaa"
नज़्म
बे-तेरे क्या वहशत हम को, तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ
तू ही अपना शहर है जानी तू ही अपना सहरा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
इक़बाल सुहैल
नज़्म
तेरी मौजों में है ये किस की सदा-ए-दिल-फ़रेब
गा रही है कौन ये ग़ारतगर-ए-सब्र-ओ-शकेब
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
ख़िर्मन-ए-सब्र-ओ-सुकूँ ख़ाक न हो क्यों जल कर
बिजलियाँ कौंद रही हैं मिरे काशाने में