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नज़्म
ख़ुद-फ़रेबी में गिरफ़्तार नहीं है 'बिस्मिल'
क्या ये तख़्लीक़ बराए निगह-ए-नाज़ नहीं
बिसमिल देहलवी
नज़्म
सूरत-ए-तस्वीर चुप 'बिस्मिल' हुए ये बोल कर
हुस्न की दुनिया है देखो दीदा-ए-दिल खोल कर
बिस्मिल इलाहाबादी
नज़्म
रक़्स-ए-मीना से उठे नग़्मा-ए-रक़्स-ए-बिस्मिल
साज़ ख़ुद अपने मुग़न्नी को गुनहगार करें
अहमद फ़राज़
नज़्म
इक़बाल सुहैल
नज़्म
आ 'जमाल'-ए-ज़ार को भी राज़दार-ए-दिल बना
ज़िंदगी इस की भी इक बर्क़-ए-दिल-ए-बिस्मिल बना
बिलक़ीस जमाल बरेलवी
नज़्म
पामाल-ए-फ़क़्र-ओ-ज़िल्लत हैं इज़्ज़-ओ-शान वाले
सैद-ए-ग़म-ओ-अलम हैं तीर-ओ-कमान वाले
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
बज़्म-गाह-ए-हुस्न में इक परतव-ए-फ़ैज़-ए-जमाल
सैद-गाह-ए-इश्क़ में है एक सैद-ए-ख़स्ता-हाल