aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "samundar-kashii"
मगरसमुंदर कभी ख़ुश्क होता नहीं
अक्सरतुम्हारे जाने के बा'द
ज़मीं अब चलते चलते थक चुकी हैसमुंदर ख़ुश्क होता जा रहा है
कभी वो मौज समुंदरकभी वो सूरज ढलते
आसमान में चंदा चमकेबीच समुंदर कश्ती तैरे
ज़मीन गर्दिश में हैऔर दुनिया सफ़र में
मैं चैत का फूल हूँऔर
बहुत कुछ चाहता था मैंहमेशा चाहता था मैं
कभी दश्त में बज उठे जल-तरंगसमुंदर कभी तो पुकारे मुझे
फिर ख़बर गर्म है वो जान-ए-वतन आता हैफिर वो ज़िंदानी-ए-जिंदान-ए-वतन आता है
रात दाढ़ी के अँधेरे से तकल्लुफ़ बरतेअर्श के सामने रुस्वाई की गर्दन न उठे
कश्ती अंदरघूर समुंदर
ज्ञान बुलंदी का कष्ट हैइस लिए आसानी से नहीं मिलता
रिश्तों के समुंदर मेंकुछ ऐसे जज़ीरे हैं
अपना आप यूँ महसूस होता हैकि जैसे
ख़्वाबों की सरहद पेनीला नीला एक समुंदर
हर तरफ़ बे-कराँ समुंदर हैअपनी कश्ती का कश्ती-बाँ
मोहब्बत ख़्वाब हो जाएहवा के साथ खो जाए
ख़ुद में उतर कर मैं रोया थाबाहर मंज़र
बूँद जो पहले समुंदर थी कभीये हवाएँ
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