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नज़्म
है डर कैसा तुम्हारे हम-सफ़र जब अहल-ए-फ़न भी हैं
तुम्हारे साथ शा'इर भी हैं और इन में 'चमन' भी हैं
चमन सीतापुरी
नज़्म
सेहन-ए-चमन पर भौउँरों के बादल एक ही पल को छाएँगे
फिर न वो जा कर लौट सकेंगे फिर न वो जा कर आएँगे
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
तुम चाहो तो बस्ती छोड़े तुम चाहो तो दश्त बसाए
ऐ मतवालो नाक़ों वालो वर्ना इक दिन ये होगा
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
सरज़मीन-ए-हिन्द को जन्नत बनाने के लिए
कैसे कैसे दस्त-ओ-बाज़ू के शजर जाते रहे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
दिल मिरा कोह ओ दमन दश्त ओ चमन की हद है
मेरे कीसे में है रातों का सियह-फ़ाम जलाल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मेरी जेबों में तेरे सिक्के खनक रहे हैं
नवा-ए-गुमराह-ए-दश्त-ए-शब के नुजूम तेरी हथेलियों पर चहक रहे हैं
जावेद अनवर
नज़्म
फिर बर्क़ फ़रोज़ाँ है सर-ए-वादी-ए-सीना
फिर रंग पे है शोला-ए-रुख़्सार-ए-हक़ीक़त