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नज़्म
नुशूर वाहिदी
नज़्म
मैं ने जो ग़ैब की सरकार से माँगा वो मिला
जो अक़ीदा था मिरे दिल का हिलाए न हिला
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
सुनते हैं कहीं राग कहीं मय से हैं सरशार
है दिल में हमें तो तिरी नज़रों से सरोकार
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
जिन को दुनिया में किसी से भी सरोकार न था
अहल-ओ-ना-अहल से कुछ ख़ल्त उन्हें ज़िन्हार न था