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नज़्म
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
ख़ालिद अहमद
नज़्म
नज़र मेरी नहीं ममनून-ए-सैर-ए-अरसा-ए-हस्ती
मैं वो छोटी सी दुनिया हूँ कि आप अपनी विलायत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अपने हम-जिंसों की बे-मेहरी से मायूस-ओ-मलूल
सफ़्हा-ए-हस्ती पर इक सत्र-ए-ग़लत हर्फ़-ए-फ़ुज़ूल
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
बे-तेरे क्या वहशत हम को, तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ
तू ही अपना शहर है जानी तू ही अपना सहरा है