आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shab-haa-e-hijr-e-yaar"
नज़्म के संबंधित परिणाम "shab-haa-e-hijr-e-yaar"
नज़्म
सुन ऐ फ़रेफ़्ता-ए-क़िस्सा-हा-ए-हिज्र-ओ-विसाल
अमीक़-तर हैं समुंदर से ज़िंदगी के निकात
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
तू क्या जाने ग़म-ए-शब-हा-ए-फ़ुर्क़त किस को कहते हैं
तिरे इज़हार-ए-उल्फ़त की फ़साहत रात भर की है
अख़्तर शीरानी
नज़्म
तेरा ग़म जब दिल में बाक़ी है तो कोई ग़म नहीं
सुब्ह-ए-नज़्ज़ारा से शब-हा-ए-जुदाई कम नहीं
अली मीनाई
नज़्म
दराज़ से दराज़-तर हैं हल्क़ा-हा-ए-रोज़-ओ-शब
ये किस मक़ाम पर हूँ मैं कि बंदिशों की हद नहीं